Indicators on hindi poetry You Should Know
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जीवन के संताप शोक सब इसको पीकर मिट जाते
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना
हो जाएँ सुनसान महल वे, जहाँ थिरकतीं सुरबाला,
'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद मिले'
किसी तपोवन से क्या कम है मेरी पावन मधुशाला।।५४।
बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,
लालायित अधरों से जिसने, हाय, नहीं चूमी हाला,
कल? कल पर विश्वास किया कब करता है पीनेवाला
हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला,
मज्ञल्तऌा समीरण साकी बनकर अधरों पर छलका जाए,
आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार
गौतम, गाँधी, महावीर more info सा रहता सत्य तुम्हारे मन में।।
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